Sunday 28 April 2013

काश तुम मेरे होते

चाहा है तुझको चाहूंगा हर पल   

















उस नूर से बढ़कर चाहते तुझे ,
उस अंबर से बढ़कर सराहते तुझे,
दिल में कभी दर्द न होता तेरे,
तेरी पलकों पे अश्क के छींटे न होते,
यह वादा था मेरा, काश तुम मेरे होते ।

उस ग़ैर कि बाहों में नहीं देख सकते तुझे,

उस मुस्कुराहट में मेरे लिए तड़पता नहीं देख सकते तुझे,
वक़्त लगता पुरे होते सपने सारे तेरे,
तेरी पलकों पे अश्क के छींटे न होते,
यह वादा था मेरा, काश तुम मेरे होते ।

उस एक पल ने रुसवा कर दिया तुझे,

उस एक घड़ी कि कशिश ने तोड़ दिया मुझे,
नाकर मेरी बराबरी घेरों से दिल को तकलिफ होगी तेरे,
तेरी पलकों पे अश्क के छींटे न होते,
यह वादा था मेरा, काश तुम मेरे होते ।

उस ग़ैर को तुने अपनाया चाहता है वो तुझे,

उस आशिक में न ढूंढ़ मुझे दर्द होगा तुझे,
क्यूँ  इतनी कश्मकश में हैं बुने सपने तेरे,
तेरी पलकों पे अश्क के छींटे न होते,
यह वादा था मेरा, काश तुम मेरे होते ।

ऐ सनम ना तड़प तू  मेरे लिए,

ना तड़पा उसे अपनी आशिकी में अपने लिए,
नहीं सेह पायेंगे अगर कहेगा बेवफा वो तुझे,
तेरी पलकों पे अश्क के छींटे न होते,
यह वादा था मेरा, काश तुम मेरे होते ।


P.S. - I dedicate this poem to my buddy who is still in love with his girlfriend knowing that they can't be together ever. He neither complain about his life nor his partner for not being by his side, rather he's happy for all those beautiful memories which wouldn't have been worth keeping in the memory lane had it not been with her. She loved him too, but circumstances & situations won over their LOVE! Though she has found her Life-Partner who share tonnes of LOVE with her, she's sad as she compares her PARTNER with my BUDDY, जिसकी मोहब्बत का कोई मुकाबला ही नहीं .....ऐसा है मेरा ये दोस्त, पर...... जैसा भी है, मुझे बोहत - बोहत प्यारा है मेरा ये दोस्त :) 








No comments:

Post a Comment